आज हम बात करने जा रहे हैं उस ऐतिहासिक जीत की, जिसका इंतजार भारतीय क्रिकेट प्रेमी सालों से कर रहे थे। जी हां, टीम इंडिया ने इंग्लैंड को उसकी ही ज़मीन पर एजबस्टन के मैदान पर हराकर 57 साल पुराना सूखा खत्म कर दिया है। यह मैच न सिर्फ एक जीत थी, बल्कि एक ऐसा पल था जहां भारतीय टीम ने इतिहास को नए शब्दों में लिखा।
एजबस्टन में पहली बार भारत की जीत, 57 साल का इंतजार खत्म
दोस्तों, इंग्लैंड का एजबस्टन मैदान टीम इंडिया के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। 1967 से शुरू हुए इस मैदान के टेस्ट इतिहास में भारत ने यहां पहली बार टेस्ट मुकाबला जीता है। इससे पहले भारत ने यहां 8 मुकाबले खेले थे और एक भी जीत दर्ज नहीं कर पाया था। लेकिन 2025 में आकर शुभमन गिल एंड कंपनी ने ये करिश्मा कर दिखाया और इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कर लिया।
आकाशदीप और सिराज ने मचाया कहर
इस मैच में अगर किसी ने सबसे ज़्यादा ध्यान खींचा तो वो थे आकाशदीप और मोहम्मद सिराज। जहां सिराज ने पहली पारी में शानदार गेंदबाजी करते हुए इंग्लिश बल्लेबाजों को बैकफुट पर रखा, वहीं दूसरी पारी में आकाशदीप ने ऐसा कहर बरपाया कि इंग्लैंड की पूरी टीम धराशायी हो गई। पूरे मैच में आकाशदीप ने 10 विकेट और सिराज ने 7 विकेट झटके। आकाशदीप ने अपनी परफॉर्मेंस से साबित कर दिया कि “एक बिहारी सब पर भारी” सिर्फ कहावत नहीं, बल्कि मैदान पर साबित किया जा सकता है।
शुभमन गिल की कप्तानी और बल्लेबाज़ी में निखार
इस मैच के सबसे बड़े हीरो रहे शुभमन गिल। जहां एक तरफ उन्होंने टीम की कप्तानी संभाली, वहीं दूसरी ओर बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन किया। पहली पारी में 269 रन और दूसरी पारी में 161 रन बनाकर उन्होंने जीत की नींव रखी। सीरीज से पहले उन्होंने खुद कहा था कि “मैं इस सीरीज का बेस्ट बल्लेबाज बनना चाहता हूं”, और उन्होंने केवल दो टेस्ट मैचों में यह साबित भी कर दिया।
बुमराह की गैरमौजूदगी में टीम का बदला अंदाज़
पहले टेस्ट मैच में जहां जसप्रीत बुमराह खेले थे और भारत को हार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरे मैच में बुमराह की गैरमौजूदगी में टीम के बाकी गेंदबाज़ों ने जिम्मेदारी बखूबी निभाई। मोहम्मद सिराज और आकाशदीप ने फ्रंट फुट पर खेलकर इंग्लैंड की बेसबॉल रणनीति को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। जब बुमराह नहीं होते हैं, तब यही गेंदबाज़ खुद को साबित करने के लिए मैदान पर जान झोंक देते हैं।
इंग्लैंड की बेसबॉल रणनीति बनी हार की वजह
इंग्लैंड की टीम 608 रनों के नामुमकिन लक्ष्य को भी बेसबॉल के अंदाज़ में चेस करने उतरी थी। चौथे दिन के अंत तक वे 73 पर 3 विकेट गंवा चुके थे, और पांचवें दिन बारिश के कारण सिर्फ 80 ओवर का ही खेल संभव था। इसके बावजूद इंग्लिश बल्लेबाज़ों ने ड्रॉ की रणनीति अपनाने के बजाय हार को गले लगाया। अगर इंग्लैंड ने थोड़ा संयम दिखाया होता, तो यह मुकाबला ड्रॉ किया जा सकता था। लेकिन उनका आत्मघाती एप्रोच उन्हें भारी पड़ा।
कोच गौतम गंभीर के फैसलों पर भी उठे सवाल
मैच के दौरान भारतीय टीम की डिक्लेरेशन को लेकर भी विवाद बना रहा। चौथे दिन शुभमन गिल के शतक के बाद भी डिक्लेरेशन में देरी की गई, जबकि मौसम की जानकारी पहले से थी कि पांचवें दिन बारिश हो सकती है। कई लोग मानते हैं कि अंदर बैठकर बड़े फैसले कोच गौतम गंभीर ही ले रहे थे। अगर यह मैच ड्रॉ हो जाता तो आलोचनाएं ज़रूर होतीं। मगर इंग्लैंड की जल्दबाज़ी ने भारत को जीत दिला दी।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, यह जीत सिर्फ एक टेस्ट मैच नहीं, बल्कि 57 साल की मेहनत, उम्मीद और संघर्ष का परिणाम है। आकाशदीप, मोहम्मद सिराज और शुभमन गिल की इस जुगलबंदी ने न केवल एजबस्टन का इतिहास बदला बल्कि करोड़ों भारतीयों के दिलों को गर्व से भर दिया। अब अगली चुनौती क्या होगी ये देखना बाकी है, लेकिन एक बात तय है — यह टीम इंडिया अब रुकने वाली नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न: आकाशदीप ने कितने विकेट लिए इस मुकाबले में?
उत्तर: आकाशदीप ने पूरे मैच में कुल 10 विकेट लिए और दूसरी पारी के हीरो बने।
प्रश्न: शुभमन गिल ने कितने रन बनाए?
उत्तर: शुभमन गिल ने पहली पारी में 269 और दूसरी पारी में 161 रन बनाए।
प्रश्न: क्या इंग्लैंड यह मुकाबला ड्रॉ कर सकता था?
उत्तर: हां, अगर इंग्लिश टीम बेसबॉल जैसी जल्दबाज़ी न दिखाती तो मुकाबला ड्रॉ किया जा सकता था।
प्रश्न: क्या बुमराह की गैरमौजूदगी टीम के लिए फायदेमंद रही?
उत्तर: बुमराह की अनुपस्थिति में बाकी गेंदबाज़ों ने ज़िम्मेदारी ली और टीम को जीत दिलाई, लेकिन बुमराह जैसे अनुभवी गेंदबाज़ की भूमिका हमेशा अहम रहती है।

मैं सोनू बिसेन अपने लेखन कला के जरिए पिछले 4 सालों से लोगों को लिखित जानकारी के रूप में मदद करती आ रहा हूँ. मुझे लिखित रूप में जानकारी साझा करने में अच्छा लगता है.